Midnight Devel Lyrics

MIDNIGHT LYRICS — DEVEL

Song Details

Midnight Devel Lyrics

yeah, yeah devil

मैं लिखता हूँ जो दर्द
वो करता है नशा
हर रात मेरा ग़म
करे नींद को तबाह
ये लोग वफ़ा लेके
जान दे देना दग़ा
ये मौत के कफ़न में भी
नापते नफ़ा

मैं बंद कमरे में बैठ के
इस दुनिया के सब राज़ खोलता हूँ
जो हो चुके निराश उनकी आस जोड़ता हूँ
अगर एक की भी जान ये लिखाई बचा पाई
तो इस कला के आगे मैं अपने हाथ जोड़ता हूँ

yeah, मुझे ज़िंदगी से क्या चाहिए
और जो चाहिए वो चाह के न मिल पाएगा
अब जो मुरझा सा दिल ये गया है
तो फिर न दोबारा कभी खिल पाएगा

इन तारों को गिनना आसान है
पर ज़ख़्मों को मेरे न गिन पाएगा
मेरे बाद भी आएंगे लिखने वाले
पर मेरी तरह कोई एक भी न लिख पाएगा

for a fact ये pen
मुझसे माँगती है
दे-दे मुझे rest
पर मुझे तो है बनना
one of the finest

तो लेता नहीं हूँ break
बल्कि और घिसूँ pen
मैं दुनिया जीत लूँगा
इस कला से I swear

वो कहते अब तो हार मान ले सब
वो जा चुके हैं जो भी तेरे आसपास थे
रुकना होता तो मैं पहले न रुक जाता
यूँ ही ज़िंदगी से लड़ता नहीं मैं 5 साल से

आजकल मेरे ग़मों की बधाई मिले
इन्हीं ग़मों के सहारे से कमाई मिले
और कमाई को उड़ाता हूँ नशे में
क्यूँकि ग़म इतने ज़्यादा कि अब
नशा ही दवाई लगे

होश खो के अपना pen खोजता हूँ
उसके बाद अपने दिल को मैं ऐसे तोड़ता हूँ
कि ये काग़ज़ भी मातम मनाए
मेरी pen रोए उसके बाद ही हाथ रोकता हूँ

मैं लिखता हूँ जो दर्द
वो करता है नशा
हर रात मेरा ग़म
करे नींद को तबाह
ये लोग वफ़ा लेके
जान दे देना दग़ा
ये मौत के कफ़न में भी
नापते नफ़ा

मैं बंद कमरे में बैठ के
इस दुनिया के सब राज़ खोलता हूँ
जो हो चुके निराश उनकी आस जोड़ता हूँ
अगर एक की भी जान ये लिखाई बचा पाई
तो इस कला के आगे मैं अपने हाथ जोड़ता हूँ

Yeah!

मुझे कोई अपने सीने से लगाके
एक बार बोल दे कि सब ठीक हो जाएगा
भले झूठ का दिलासा ही सही
मेरे अंदर का इंसान जो वो जी तो पाएगा
माना ख़ुशी उसे कभी न मिले
फिर भी हिम्मत तो कम से कम मिल जाएगी उसको
एक झूठ के सहारे वो मुश्किल हालातों में
जीना तो सीख जाएगा
पर उस झूठ की जगह पे और झूठ मिले कई
चेहरा था एक मगर रूप मिले कई
जिनको ग़रीबी में गिनता था अक़्सर
ज़रूरत के वक़्त दिखे दूर खड़े वही

आजकल वफ़ादार माँगती है
दुनिया ये पैसे को बाप मानती है
जिसे एक बार हो जाए प्यार
तो मोहब्बत फिर आशिक़ की जान माँगती है

बेहिसाब बेलगाम बस हम भागते रहे
जो भी कमाया उसे बाँटते रहे
जिनको सहारे का हाथ दिया मैंने
वही लोग हाथ मेरा बस काटते रहे

अपनों को अपना समझ लिया था
इस ग़लत-फ़हमी को हम पालते रहे
उनके लिए हम पराए थे
हालाँकि उनको तो अपना ही मानते रहे

मैं लिखता हूँ जो दर्द
वो करता है नशा
हर रात मेरा ग़म
करे नींद को तबाह
ये लोग वफ़ा लेके
जान दे देना दग़ा
ये मौत के कफ़न में भी
नापते नफ़ा

मैं बंद कमरे में बैठ के
इस दुनिया के सब राज़ खोलता हूँ
जो हो चुके निराश उनकी आस जोड़ता हूँ
अगर एक की भी जान ये लिखाई बचा पाई
तो इस कला के आगे मैं अपने हाथ जोड़ता हूँ

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